अहमदाबाद में बेटे के लिए 6 बेटियों की बलि : Ahmedabad ki ye Dil dahla Dene wali ghatna hai

  • करीब अब से 25 साल पुरानी है बात है बात कर रहा हूं साल 1999 की उत्तर प्रदेश का एक जिला है बुलंदशहर और एक जिला है अलीगढ़ दरअसल अलीगढ़ और बुलंदशहर को जोड़ने के लिए एक मार्ग है नेशनल हाईवे 91 के किनारे एक लड़की दोपहर का समय हो रहा था और उसे वक्त वह लड़की नवजात जो कि दो-चार दिन की ही लड़की होगी वो रो रही थी बिलख रही थी
  • इसी बीच में से एक व्यक्ति वहां से गुजर रहे होते हैं उस व्यक्ति की नजर पहुंचती है क्योंकि वो आवाज सुनकर उसके पास पहुंच जाता है अब वहां इस बच्ची को गोद में ले लेता है

  • और यह देखने की कोशिश करता है। कि आखिरकार यह लड़की कहां से आई है किसकी है। और किसने इस लड़की को यहां पर डाल दिया है अब वो व्यक्ति इंतजार करता है काफी समय बात जाता है। जब लड़की को लगातार भूख लग रही थी उस बेटी को अपने घर ले जाता है अपनी पत्नी को पूरी कहानी बताता है।
  • उसकी पत्नी ने इंतजाम किया उसके खाने पीने का और उसके बाद फिर रात हो जाती है। दिन निकलता है। वो महिला कहती है कि तुम जाकर वहीं पहुंच जाओ जहां यह लड़की मिली थी हो सकता है। कि उसके परिवार के लोग वापिस आ जाएं तो उसे लड़की को वापिस कर देना
  • इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी की बात को मानते हुए हाईवे के किनारे एक दो दिन नही महीनो तक इंतजार किया था लेकिन कोई लौटा ही नहीं शायद वो इस लड़की से वो नफरत करता होगा शायद वो इस लड़की को चाहता ही नहीं होगा
  • धीरे – धीरे समय गुजर जाता है। और इस लड़की के बारे में बहुत कम लोग जानते थे कि आखिरकार यह लड़की कहां से आई है। किस रूप में मिली है घर में और भी बच्चे पैदा होते हैं लेकिन किसी भी बच्चे को इस बात का एहसास तक होने नही दिया
  • और सबसे बड़ी बात यह थी कि इस खुद लड़की को भी एहसास नहीं होने दिया कि वो कहां से आई है। जब बड़ी होती है उसकी एजुकेशन के साथ साथ उसकी शादी भी हो जाती है अब वो लड़की 25 साल की है। और दरअसल जो व्यक्ति जिसने ये कहानी मुझे बताई थी वो तो इस दुनिया में है नही उनके परिवार के लोग हैं।
  • इस लड़की नाम लेना क्योंकि इसके बारे में अगर बताया गया तो शायद सही नही होगा लेकिन एक इंसानियत के नाते कि ऐसे व्यक्ति भी इस दुनिया में हैं। 

अब कहानी जो मैं आपको सुनाने जा रहा हूं ये एक मां की कहानी है। एक मां पर उसके पति उसके सास और ससुर बाकी परिवार के लोगो ने कितना जुल्म किया था 

  • सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी बेटियां पैदा पैदा हुई थी इसका इस मां की कहानी को सुनने के बाद शायद आप लोगो की हालत फाख्ता हो जायेगी ।
  • अब जो मैं आपको सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूं यह सच्ची घटना है गुजरात प्रदेश का एक शहर है। अहमदाबाद और अहमदाबाद का ही एक इलाका लगता है बस्त्रपुर दरअसल 1 दिसंबर साल 2000 को एक लड़की होती है जिसका नाम अमीशा याग्निक होता है उसकी शादी हो जाती है धूमधाम से उसकी जिंदगी में बहुत अच्छे दिन चल रहे थे सब कुछ उसकी जिंदगी में बहतरीन चल रहा था उसने सोचा भी नही था की इतने अच्छे सास ससुर पति ये सब मिल जायेंगे 15 अगस्त साल 2001 को वह प्रेगनेंट हो जाती है।
  • और सबसे पहली प्रेगनेंट होने की खुशी वो अपने पति से साझा करती है। पति से कहती है की मुझे ऐसा लग रहा है कि शायद कुछ न कुछ है। इस खुशी का इजहार जैसे उसने पति से किया तो पति भी खुश हो जाता है। बात सास ससुर तक और परिवार के बाकी लोगों तक पहुंच जाती है।
  • घर में खुशी का माहौल हो जाता है। सब के सब लोग इंतजार कर रहे थे कि इस घर में एक किसी बच्चे की किलकारियां गूंजेंगी लेकिन अचानक ही पता नही परिवार के दिमाग में क्या आता है कहते हैं। कि अमीशा याग्निक तुम्हें हम डॉक्टर के पास लेकर चलते हैं। यह देखने के लिए बच्चा स्वस्थ है या नही है कोई दिक्कत तो नही कोई परेशानी तो नहीं है। ठीक वो बात मान जाती है।
  • डॉक्टर के पास जाते हैं डॉक्टर कहते हैं कि बिल्कुल बच्चा स्वस्थ है और इसका अच्छे से खयाल रखना सब कुछ ठीक था और एक दो दिन के बाद फिर से पता नही फिर क्या दिमाग में आता है। फिर डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं। अब बस यह जानना चाहते थे लेकिन अमीशा याग्निक को यह नही पता था की यह क्या अबकी बार क्यों लेके जा रहे हैं
  • दरअसल वो ये जानना चाहते थे की लिंग क्या है। यानी की लड़की या फिर लड़का है।गर्भ में पल रहे इस बच्चे की जांच करने के लिए सास ससुर पति सभी लोग कोशिश करने लगते हैं। आखिरकार उन्हें सफलता इसलिए नही मिल पाती क्योंकि वह अपनी पत्नी की सही बात बता नही पा रहा था
  • आखिरकार डॉक्टर के पास ले जाने के बाद उसको एक इंजेक्शन दिया जाता है और इंजेक्शन लगते ही वो बेहोश हो जाती है और जब आंख खुलती है। तो उसे अपने पेट में कुछ हल्कापन सा लग रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे की कोई चीज गायब हो चुकी है। यानी कि उसका गर्भपात हो चुका था वो महिला घर आकर रोने लगती है। विलखने लगती है। अपने पति से कहने लगती है की आखिरकार मेरे पेट में जो बच्चा पल रहा था तुमने उसे क्यों

  • निकाला पति कहता है। कि जो हुआ है। उसे माफ करो खत्म करो तुम्हारे पेट में दरअसल लड़की पल रही थी और मां –बाप को इस बात की मंजूरी नही थी वह चाहते थे पहला बच्चा लड़का ही होना चाहिए इसलिए ये सब करा दिया तुम बिल्कुल परेशान मत हो
  • अब जो अमीशा याग्निक थी उसने सब्र कर लिया उसने कहा ठीक है। जो हो गया सो हो गया उसने यह बात किसी को भी नही बताई न अपनी मां न अपने बाप न अपने परिवार के किसी सदस्य को क्योंकि उसे लगता था की यदि यह बात अपने मायके में बताएगी तो शायद यह ससुराल वाले उसको छोड़ देंगे और छोड़ेंगे तो फिर वो कहा रहेगी परेशान अपना जो भी था अपने तसल्ली कार्तिभाई और अपना आराम देवघर बैठ जाती है। कुछ वक्त और बीतता है। और कुछ वक्त बीतने के बाद फिर से वो प्रेगनेंट हो जाती है। फिर से पति को शेयर है। और पति फिर से जांच कराने के बहाने उसे किसी न किसी तरकीब से वहां ले जाता है।
  • जैसा उसका पहली बार में हुआ था ठीक वैसा ही उसके साथ दूसरी बार में ही जाता है। दूसरी बार में भी खूब रोती है। विलखती है लेकिन करती तो क्या करती इस तरह से तीसरी बार इस तरह से चौथी बार इस तरह से पांचवीं बार इस इस तरह सेबछती बार लगातारबुस्के साथ ऐसे ही हो रहा था और उसके अब तक छः बच्चो को यानी कि जो पल रही थी बेटियां जैसे – जैसे पता चल रहा था कि बेटियां ही हैं। पेट के अंदर उन्हें गिरा दिया जाता था
  • और डॉक्टर इस बात के लिए अच्छी खासी रकम लेते थे और जब कभी हॉस्पिटल में पहुंचते थे तो डॉक्टर साहिवा जो होती थी वो कहती थी जय श्री कृष्णा यानिबकी अगर लड़का है। तो जय श्री कृष्णा और जय माता दी अगर बोल दिया । तो लड़की है। तो हर बार जो उधर से आवाज आया करती थी तो जय माता दी करके आवाज आया करती थी सातवां बच्चा उसके पेट में पल रहा था अब अमीशा याग्निक ने सोचा कि इस बच्चे को वो किसी भी कीमत पर गिराएगी नहीं अब वो यहां से किसी भी तरकीब से वो बहाना करके वो अपने मायके चली जाती है। मायके जाने के बाद वो किसी न किसी बहाने से मायके में ही रहती है।
  • उसके पेट में बच्चा पल रहा था अब तक उसकी छः बेटियां गिर चुकी थी सातवीं बार भी पूरा भरोसा या यकीन था की सातवीं बार भी बेटी ही होगी अब बह जब मायके में रहती है तो कुल मिलाकर उसको मायके में ही उसको एक बेटी पैदा हो जाती है। अब तक जो मरी सो मरी उसने अगले से ये सोच लिया था कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वो इस बच्चे को मरने नही देगी ससुराल वाले मायके पहुंच जाते हैं उसकी खुसामत करते हैं।
  • कि जो हुआ पहले उसे माफ करो और एक काम करते हैं घर चलते हैं। कुलमिलाकर किसी न किसी बहाने से उस अमीशा याग्निक को अपने घर लेकर आ जाते हैं। और घर लाने के बाद उसके साथ अब यहां पर खूब मार पिटाई होती है कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बेटी को जन्म देने की उसके साथ खूब मारपीट होती है। और मारपीट करने के बाद उसे धक्के मारते हुए घर से निकाल दिया जाता है। और कहा जाता है कि ये बच्ची यहीं रहेगी यानी कि जो बच्ची पैदा हुई थी उसे खतरा लग रहा था कहीं ऐसा न हो कि यह इसे मार डालें कुलमिलाकर उसे घर से निकाल देते हैं।
  • वो लड़की परेशान हो जाती है। कुलमिलाकर वकील का सहारा लेती है कहती है कि मुझे मेरी बेटी दिलवा दो जब बेटी लेने के लिए जाते हैं तो साफ साफ मना करते हैं। कि एक ही शर्त पर आपको बेटी मिलेगी वो शर्त यह है कि तुम्हें तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर करने पड़ेंगे अब अमीशा के सामने कोई ऑप्शन नहीं था
  • वो अपनी बेटी को बहुत चाहती थी उसने अपनी बेटी को लिया और तलाक नामे पर साइन किया और वहां से वो चली जाती थी फिर वो मायके में ही रहकर वो अपनी बेटी की परवरिश करती है। अगर हम आज की बात करें तो वो लगभग 20 साल के आसपास वो लड़की हो चुकी है।
  • और एक अच्छी जिंदगी जी रही है। ऐसी सच्ची कहानी सुनाकर आपको जागरूक करना है परेशान करना नहीं या दुखी करना नहीं है। इस दुनिया में कुछ लोग बहुत जालिम हैं आप सब खुश रहो सतर्क रहो धन्यवाद,

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