हाथरस में हुई 121 लोगों की हुई मौत:
शाहजहांपुर जिले का एक थाना लगता है कांठ और उसी का ही एक गांव लगता है भमोई दरअसल यहां की रहने वाली सावित्री देवी का जो बेटा होता है आनंद वो राजस्थान प्रदेश के जयपुर में रहता है अपने तीन बच्चों के साथ और पत्नी के साथ व 1 जुलाई 2024 को अपने घर आया हुआ था घर आने के बाद अपनी बहन से बोलता है शोभा से कि तैयार हो जाओ कहीं चलना है जैसे तैयार होते हैं बच्चे तो सावित्री देवी की नजर पड़ती है अपने बच्चे बहू और बेटी पर साथ ही तीन पोती पोतों पर वो कहती है तुम तैयार कहां के लिए हो रहे हो क्या बात है तो आनंद कहता है कि मां बस एक दिन की बात है और हम लोग जाकर आ जाते हैं यानी कि कहीं जाना है मां को जैसे ही पता चलता है कि वो किसी सत्संग में शामिल होने के लिए जा रहे हैं तो मां ने रोकने की कोशिश की कि बेटा सत्संग में क्या करोगे तुम इतनी दूर से तो चल कर आए हो यहीं रुक जाओ लेकिन बेटा था कि वो जिद पर अड़ा हुआ था वो अपने तीनों बच्चों को लेकर पत्नी और बहन को लेकर पहुंच जाता है
हाईवे का गद्दा बना मौत का कुआ:
उस सत्संग में लेकिन सत्संग से एक ऐसी खबर आती है कि जो शोभा है वो एक गड्ढे में फंस जाती है उसका जो भतीजा और भतीजी भतीजा 9 साल का होता है और भतीजी 3 साल की होती है वह पानी के गड्ढे में पड़े हुए थे वहां से बड़ी संख्या में हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं जा रहे हैं और सब के सब अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे बुआ बार-बार लोगों के पैर पकड़ती थी छूती थी कि भैया यहां बच्चे हैं यहां से मत निकलो लेकिन भीड़ को सिर्फ अपनी जान बचाने में जुटी हुई थी हर किसी को पड़ी थी कि बस किसी तरकीब से खुद की जान बच जाए भले जाएं कुछ भी हो जाए
जब भीड़ छड़ जाती है अलग हो जाते हैं तो पता चलता है कि जो दो बच्चे हैं उस आनंद के एक बच्चा जिसका नाम होता है आयुष और एक बच्ची बच्ची यानी कि काव्या 9 साल का आयुष और काव्या की मौके पर ही मौत हो जाती है मां और बाप को जब खबर मिलती है तो बदहवाश हो जाते हैं और बुआ यह समझ नहीं पा रही थी कि वह आखिरकार अपने उन दोनों भतीजा भतीजी को बचा ही क्यों नहीं पाई एक बच्चा बच जाता है और जैसे ही दादी को एक खबर लगती है तो दादी का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है दादी बार-बार कह रही थी कि बस मैंने तो मना किया था कि सत्संग में मत जाओ इतनी दूर से आए हो घर पे रुक जाओ
सत्संग बना मौत का संग:
आखिरकार इस सत्संग की पूरी कहानी क्या है जिसने 100 परिवारों के लगभग 121 लोगों को मौत की नींद सुला दिया और लगभग 150 लोग जो गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं और यह कहानी पूरे इंडिया ही नहीं बल्कि पूरे वर्ल्ड में पूरी तरह से फैल चुकी है हर कोई जानना चाहता है कि आखिरकार इस कहानी के पीछे की कहानी क्या है नमस्कार आज की जो सच्ची घटना मैं आपको सुनाने जा रहा हूं यह सच्ची घटना उत्तर प्रदेश का एक जिला है एटा एटा को ही काटकर छाट कर एक दूसरा जिला बनाया गया है गंज और कासगंज का एक इलाका लगता है
कांस्टेबल बना भोले बाबा:
पटियाली और पटियाली का ही एक गांव लगता है बहादुर नगर दरअसल यहां का रहने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम सूरजपाल होता है सूरजपाल उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर कांस्टेबल के पद पर उसकी भर्ती होती है उसकी जो पोस्टिंग थी वो एलआईयू में थी एलआईयू यानी कि लोकल इंटेलिजेंस यूनियन जो कि कुछ अंदर की खबरें निकालकर बाहर देना होता है अधिकारियों को देना होता है सूरजपाल अपने काम को बखूबी तरह से कर रहे थे लेकिन एक दिन उनसे एक गलती हो जाती है करीब 28 साल पहले अब कहानी 2024 में चल रही है 2024 से ठीक 28 साल पहले की ये बात है उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगता है और छेड़छाड़ का जैसे ही आरोप लगता है तो पुलिस ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लेती है भले ही ये हवालदार थे या कांस्टेबल थे लेकिन इसके ऊपर मुकदमा जब दर्ज हो जाता है
भोले बाबा था पहले सूरजपाल:
सूरजपाल के ऊपर तो पुलिस इन्हें गिरफ्तार करती है और गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज देती है यह अपनी नौकरी से सस्पेंड भी हो जाते हैं और बर्खास्त की भी कारवाई हो जाती है कोर्ट का सहारा लिया जाता है और कोर्ट का सहारा लेने के बाद आखिरकार कोर्ट से ये बरी हो जाते हैं और वापस इन्हें नौकरी मिल जाती है नौकरी करते करते सोचते हैं कि अब ज्यादा सही नहीं है इसलिए साल 2002 में यह उत्तर प्रदेश पुलिस से वीआरएस ले लेते हैं यानी कि वक्त से पहले नौकरी से यह अलविदा कह देते हैं रिटायरमेंट ले लेते हैं अब रिटायरमेंट लेने के बाद ये अच्छे खासे अपने काम में जब घर आते हैं तो इन्होंने एक सपना देखा सपना देखने के बाद कहा कि भाई मैंने कुछ ऐसा देखा है जिससे कि मुझे अब यह संदेश लोगों तक पहुंचाना है यानी कि जब संदेश की यह बात कर करते हैं तो संदेश की बात करने के बाद अब ये गांव हो या आसपास के लोग हो या फिर कहीं भी अभी उसी संदेश को देते थे यानी कि इंसानियत का पाठ पढ़ाना ये शुरू कर देते हैं ये इस तरह से लोगों को मैसेज देते थे और इंसानियत का पाठ पढ़ाते पढ़ाते कब ये लोगों के बीच में इतने प्रिय हो जाते हैं लोकप्रिय हो जाते हैं पता ही नहीं चलता पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनका एक तरह से बोलबाला हो जाता है अब लाखों की तादाद में इनके अनुयाई हो जाते हैं श्रद्धालु हो जाते हैं जहां भी जाते थे अच्छी-अच्छी बातें बताना अच्छी-अच्छी बातें करना अब पहले से यानी कि 15 दिन पहले से बात तय हो जाती है कि 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश का जिला है हाथरस और हाथरस के ही एक तहसील लगती है सिकंदरा राव और सिकंदरा राव तहसील का एक इलाका है गांव है मुंगला गढ़ी उसका गांव लगता है फुरई दरअसल ये जो फुरई गांव है वो अलीगढ़ और एटा जो हाईवे है उस हाईवे के किनारे गांव लगता है यहां पर लगभग 200 बीघा जमीन में एक बड़ा सा पंडाल लगाया गया और पंडाल का लगाने का मकसद यह था कि यहां पर बाबा आएंगे
और यह मंगल मानव मिलन सद्भावना समिति के तहत एक दिवसीय यानी कि कुछ ही घंटों का एक सत्संग होना था यहां पर बाबा का आना था और बाबा आकर यहां पर लोगों को अपने प्रवचन देने थे बाबा आते हैं बाबा इससे पहले के आते हैं उससे पहले जो फॉर्मेलिटीज होती है प्रशासन की तरफ से एक अनुमति ली जाती है कि हम इस तरह से एक सत्संग करने जा रहे हैं उसमें 80000 लोगों की अनुमति ली गई कि हमारे लगभग 80000 अनुयाई आ जाएंगे उसके लिए बाकायदा उन्होंने पूरा जो इंतजाम था खुद सत्संग वालों की उस पूरी की पूरी व्यवस्था कर दी गई थी लेकिन जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ रहा था यानी कि 2 जुलाई 2024 की सुबह 8:00 बजे के आसपास पंडाल लगभग भर चुका था और जैसे ही 10 बजते हैं तो पंडाल में रहने की लिए जगह तो थी ही नहीं बल्कि सड़क हो खेत हो या आसपास जो दूर दराज का इलाका था वो चारों तरफ पब्लिक से फुल हो जाता है लगभग 10 बजे तक जब वहां पैर रखने की जगह भी नहीं होती है और बाबा का इंतजार किया जा रहा था बाबा अपने जिनका नाम होता है नारायण सरकार हरि भोले बाबा यह जैसे ही 12 बजते हैं यानी कि 11:40 मिनट के आसपास का मसला था और जैसे वो पंडाल की तरफ आ रहे हैं तो पंडाल में जितने भी लोग होते हैं जितने भी भीड़ होती है वह कहते हैं कि बाबा आ चुके हैं यानी कि नारायण सरकार हरि भोले बाबा जैसे उनकी एंट्री होती है तो उनके लिए अलग से मार्ग बनाया गया था और उनकी जो 15 गाड़ियों का काफिला था वोह बिल्कुल मंच के एकदम पास तक पहुंच जाता है और जैसे बाबा वहां पहुंचते हैं तो बाबा ने सबसे पहले मंच से अब उनकी पत्नी उनके बराबर में बैठती है मंच पर और माइक पर बोले हैं कि संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा सदा के लिए जय जयकार हो पहले वो खुद बोलते हैं भोले बाबा और उसके बाद जो भी लाखों की भीड़ थी ढाई लाख से ज्यादा लोग थे वो जब बोलते हैं तो पूरा जो इलाका था
गुंजमायन हो जाता है इसी संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा सदा के लिए जय जयकार हो बस इसके बाद ये अपना प्रवचन देना शुरू कर देते हैं ये 12:00 बजे से प्रवचन की शुरुआत होती है उसके बाद 1:30 पर इनका प्रवचन समाप्त हो जाता है जैसे प्रवचन समाप्त होता है उसके बाद इसी नारे के साथ अपना वहां से जब चल देते हैं क्योंकि यह पहली बार नहीं हो रहा है यह इससे पहले भी लगातार होता रहा है इस तरह का सत्संग और भोले बाबा अपने प्रोग्राम में जाते रहे हैं तो उनके जो अनुयाई हैं उनके जो श्रद्धालु हैं उनको पता है कि अब क्या करना है अब जैसे कि हालांकि बाबा की जो गाड़ियां हैं वो बिल्कुल मंच के पास तक पहुंच जाती हैं लेकिन यह बताया जाता है कि अगर उनके चरणों की धूल मिल जाए और जो लोग उनके चरणों की धूल को अपने गले के लॉकेट में रख देता है या फिर किसी को भी टीका लगा देता है तो उनके कारोबार में जो कुछ कमी है तो कारोबार भी ठीक चलने लगता है किसी को बीमारी होती है तो बीमारी भी एकदम समाप्त खत्म हो जाती है यही नहीं जो उनके बिगड़े हुए काम होते हैं वो भी सब होने लगते हैं अब इसी बात की होड़ मच जाती है साथ ही बाबा कई जगह हैंड पंप भी लगा दिया करते थे उन हैंड पंप से अगर पानी लेकर जाएंगे पानी पिएंगे तो उससे भी बहुत तरह तरह के फायदे होंगे जैसे ही 2 जुलाई 2024 की दोपहर लगभग 1:30 मिनट पर फुल रई गांव में यह सत्संग समाप्त होता है और यह बाबा अपनी गाड़ी में जाकर बैठते हैं 15 गाड़ियों के का काफिला होता है 15 गाड़ी में बैठते हैं और बैठने के बाद जैसे ही गाड़ी चलती है उनके पैरों की धूल को लेने के लिए उनके पैरों की मिट्टी को लेने के लिए अपने उस लॉकेट में रखने के लिए अब भीड़ उधर भागने लगती है हालांकि जो उनके सेवादार होते हैं वो उन भीड़ को रोकने की कोशिश कर रहे थे ताकि लोग जो बढ रहे हैं वो रुक जाएं लेकिन भीड़ कुछ इतनी ज्यादा थी कि सेवादार कम पड़ जाते हैं और यहां से फिर सिलसिला शुरू हो जाता है ये चारों तरफ जो उनके श्रद्धालु हैं बस उन तक पहुंचने के लिए वैसे तो वो पैदल चलते नहीं है कम पैदल चलते हैं गाड़ी में बैठे थे तो लोगों को उनकी गाड़ी के टायरों की धूल भी मिल जाए तो यह इस भी बहुत अपनी बड़ी बात समझते हैं इसके लिए जब उन्होंने भागना शुरू किया है यानी कि गाड़ी के पीछे-पीछे दौड़ना शुरू किया है तो लोगों की भीड़ चलने लगती है आगे हाईवे है जो कि अलीगढ़ और एटा मार्ग को जोड़ता है नेशनल हाईवे उसके किनारे जो हाईवे को बनाने के लिए गड्ढे से हो चुके हैं यानी कि मिट्टी निकाल के ऊपर हाईवे पर लगाई गई है इसलिए वो गड्ढे हैं अब लोगों की भीड़ जब भाग रही है तो उन गड्ढों में गिरना शुरू हो जाते हैं जैसा इस तरह से हजारों की संख्या में लोग गिरते रहते हैं और जो ज्यादा गहराई में गिर जाता है गड्ढे के पास में जो ज्यादा बार लोगों के नीचे पैर से कुचला जाता है
जो ज्यादा बार कुचला जाता है वहां पर उसका दम घुटने की कोशिश होती है वो मरता चला जाता है और यहां से चीख पुकार मचने शुरू हो जाती है चीख पुकार कुछ ऐसी मचनी शुरू हो जाती है कि लोगों को ये समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार माजरा क्या है हो क्या रहा है वहां चारों तरफ चीत चीत्कार मच जाती है सबसे अजीब बात यह थी इस सत्संग की जो महिलाएं होती हैं या बुजुर्ग व्यक्ति होते हैं जब वो घर से चलते हैं तो अपने बच्चों को जरूर साथ लेकर आ रहे थे कोई पोती को साथ लेकर आ रहा है तो कोई पोतों को साथ लेकर आ रहा है कोई महिला की उम्र कम है तो वो अपने बच्चों को लेकर आ रहा है उनका मकसद था कि बच्चे अच्छी-अच्छी बातें अगर भोले बाबा से सीखेंगे तो ये भी अच्छा ही बनेंगे इस तरह से उनका मकसद था अब एक तरफ तो हाथ में बच्चा होता है या गोद में बच्चा होता है और महिलाएं उस चरणों की धूर लेने के लिए लगातार दौड़ रही हैं तो खुद तो गए गए बच्चों को भी ले ले गए साथ ही बुजुर्ग होते हैं उनके साथ भी कुछ ऐसे ही होता है अब बाबा तो यहां से निकल चुके थे लेकिन लोगों की जो भगदड़ में मरने वालों का जो सिलसिला था वो लगातार चलता चला गया और चलता चला गया यह 1:30 बजे से सिलसिला शुरू हुआ और उसके बाद फिर कम से कम डेढ़ दो घंटे लगते हैं संभलने में लेकिन डेढ़ दो घंटे के बाद सोशल मीडिया पर जो कहानियां थी इस घटनाक्रम की सत्संग की वो कहानियां सोशल मीडिया पर लगातार वायरल होनी शुरू हो जाती हैं दूर दराज अब चाहे किसी का भी मोबाइल हो उसके मोबाइल में जो नोटिफिकेशन की बेल थी लगातार बज रही थी और लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि हाथरस में कोई हादसा हो गया हाथरस की तहसील सिकंदरा राव के पास एक गांव है फुलर वहां पे हादसा हो गया इतने लोग सत्संग में मारे गए हैं कभी संख्या 60 70 कभी 80 कभी 90 कभी 100 कभी संख्या 110 तो इस तरह से जो प्रशासन ने घोषणा की 116 की घोषणा की लेकिन अगले दिन होते-होते 122 तक संख्या पहुंच जाती है बड़ी संख्या में लोग घायल थे उन्हें पहुंचाने के लिए यानी कि हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए कुछ साधन की भी कमी पड़ रही थी समझ नहीं पा रहे थे कि उनको लेकर कैसे जाए अब चाहे टेंपू हो ई रिक्शा हो या फिर बस हो जैसे किसी बस में अगर आप बैठे होंगे तो एक तो सीट होती है जिसमें दो बैठते हैं एक सीट होती है जिसमें तीन बैठते हैं लेकिन अब यहां से जो लोग बसों में जा रहे थे वो लाशों के रूप में जा रहे थे कोई ऐतराज करने वाला नहीं था जबकि तीन की सीट पर अगर दो बैठे हो तो एक कोई भी आकर ये कह देता है कि भाई मुझे सीट दे दो आप यहां पर दो बैठे हैं ये तो तीन की सीट है लेकिन एक सीट पर एक आदमी लेटा हुआ था और उसकी जिंदगी खत्म हो चुकी थी अब यहां से किसी को सिकंदरा राव स्वास्थ्य केंद्र लेके जा रहे हैं तो किसी को हाथरस लेके जा रहे हैं किसी को एटा लेके जा रहे हैं किसी को अलीगढ़ लेके जा रहे हैं किसी को आगरा लेकर जा रहे हैं जितने भी नजदीकी जनपद होते हैं जितने भी नजदीकी हॉस्पिटल होते हैं अब चाहे प्राइवेट हो सरकारी हो जहां-जहां तक लेके जा सकते थे लेके जाने की कोशिश कर रहे थे अब बात एसएसपी आईजी डीआईजी और डीजीपी तमाम बड़े-बड़े आला अधिकारियों तक बात पहुंच जाती है अब यह बात सोशल मीडिया के माध्यम से मेन स्ट्रीम मीडिया हो सोशल मीडिया हो या प्रिंट मीडिया हो उन तक भी पहुंच जाती है हंगामा बहुत ज्यादा होने लगता है अब लोग अपनों को तलाश करने लगते हैं जिनके अपने इस सत्संग में आए थे वो चाहे राजस्थान से हो मध्य प्रदेश से हो उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के लोग हो उत्तराखंड के लोग हो तो जो कई राज्यों के बड़ी संख्या में लोग थे अब अपनों को तलाश करने के लिए वो भी दौड़ने लगते हैं कि हमारे अपने कहां है कोई सिकंदर राव जा रहा है तो कोई हाथरस जा रहा है कोई आगरा जा रहा है कोई एटा जा रहा है कोई अलीगढ़ जा रहा है ये तलाश करने के लिए कि हमारा अपना कहां है जिसको मिल रहे थे भले चाहे घायल थे सांसें चल रही थी वो तसल्ली कर रहा था कि हमारा अपना जिंदा है ठीक है घायल है तो ठीक हो जाएगा लेकिन जिनकी सांसें थम चुकी थी वो उनका रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है एक दूसरे को लोग सूचना देने लगते हैं कि वो यहां सत्संग में आया था वह बचा नहीं या फिर बच गया है कोई इस इस तरह की सूचनाएं लगातार फैल रही थी हालत बद से बदतर हो जाती है लोग समझ नहीं पा रहे थे और कुछ ही घंटों में 100 परिवारों के लगभग 120 लोग उजड़ जाते हैं खत्म हो जाते हैं हमेशा के लिए उनकी सांसें थम जाती हैं और 150 के आसपास घायल हो जाते हैं अब अधिकारियों ने मौके का जायजा लेना शुरू किया अगला दिन आ जाता है यानी कि 3 जुलाई 2024 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौके का जायजा लेने के लिए पहुंच जाते हैं उनको प्रथम दृश्य लगता है कि इस मामले में कुछ ना कुछ कुछ जरूर साजिश रही है इस साजिश का हम जरूर पर्दाफाश करेंगे लेकिन अब बाबा जो थे बाबा की तलाश शुरू हो जाती है बाबा यहां से जो जैसे ही भगदड़ मचती है बाबा के 15 गाड़ियों का काफिला होता है वो कहां चला गया दरअसल बाबा यहां से निकल जाते हैं 80 किमी दूर मैनपुरी में एक गांव लगता है बिछुआ उस गांव में बिछुआ गांव में यानी कि 21 बीघे जमीन में एक बड़ा सा आश्रम बना हुआ था और यह बाबा जैसे ये अपने यहां से 80 किलोमीटर का सफर ज्यादा से ज्यादा एक से सवा घंटे में तय हो जाता है यहां से यानी कि फुल राई गांव से वो अपना 15 गाड़ी काफिले लेकर वहां पहुंच जाते हैं वो वहां तक पहुंचे नहीं थे कि उनके मोबाइलों में भी ये नोटिफिकेशन की बैल बज रही होगी उनके उनके मोबाइल में पता चल रहा होगा उनके जो सेवादार थे उनके जुड़े हुए लोगों लोग थे उन तक भी बात पहुंच गई होगी कि वहां मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और वहां हालत बद से बदतर हो रही है बाबा ने अपनी गाड़ी का जो काफिला था वो सिर्फ बिछुआ गांव की तरफ ही मोड़ा जो कि मैनपुरी में लगता है लेकिन वापस उस फुल रई गांव की तरफ नहीं आए जबकि उनका दावा यह है कि वो महात्मा है और किसी के साथ भी कुछ भी कर सकते हैं और उनको उनके जो बड़े-बड़े दावे थे यहां पर एकदम खुश हो जाते हैं और बाबा जाकर अपने आश्रम में अंदर पहुंच जाते हैं और तीन मेन गेट होते हैं तीनों का ताला लगा देते हैं शाम 6:00 बजे तक ये दो तारीख की ही बात है 2 जुलाई 2024 के शाम 6:00 बजे तक मीडिया वालों को पता चल जाता है कि जिस बाबा की वजह से पूरी कहानी हुई है इतने सारे लोग मारे गए हैं वो बाबा अपने आश्रम में वहां पर मीडिया वालों का जमघट लग जाता है और मीडिया वाले इंतजार कर रहे थे इसी बीच में एक डीएसपी साहब होते हैं सुनील कुमार चौहान वो अपनी फोर्स के साथ मौके पर पहुंच जाते हैं फोर्स बाहर रुक जाती है डीएसपी अकेले अंदर पहुंच जाते हैं और करीब-करीब यह रात के 11:00 बजे पहुंचते हैं तब भी मीडिया वाले वहां जमे हुए थे ये देखने के लिए कि आखिरकार इन्हें कोई पकड़ के लेके आएगा या नहीं ऐसा दावा किया जा रहा था सेवादारों द्वारा ही कि जो बाबा हैं
आश्रम से ही गायब हो गया था बाबा :
भोले बाबा इस अपने आश्रम के अंदर हैं जब डीएसपी साहब 11:00 बजे रात को पहुंच जाते हैं करीब 45 मिनट के बाद बाहर निकलते हैं कहते हैं कि यहां पर बाबा नहीं है गायब है एक अकेला अधिकारी और 21 बीघे में बना हुआ आश्रम में कैसे ढूंढ सकता है वो भी 45 मिनट में कोई जादू ही हो सकता है लेकिन नहीं लेकिन मीडिया वालों ने तुरंत ही डीडीएसपी साहब को घेर लिया कि डीएसपी साहब क्या हुआ बाबा का कुछ अता पता चला तो बाबा कहते हैं बाबा तो यहां पर है नहीं जबकि ये जो आसपास के जो लोग थे उनके अड़ोस पड़ोस के वो उनका दावा था कि बाबा आए हैं अंदर हैं अब सुबह दिन निकलता है यानी कि 3 जुलाई 2024 की सुबह लगभग 6:00 बजे के आसपास एक बार फिर से डीएसवी साहब अंदर जाते हैं और अंदर जाने के बाद फिर वहां से निकल आते हैं और करीब आधे घंटे के बाद इसी आश्रम से छह गाड़ियों का काफिला बाहर निकलता है और छह गाड़ियों में एक गाड़ी ऐसी होती है जिसका नंबर डीएल 10c ए 8756 जिस पर बताया जाता कि बीजेपी का झंडा लगा हुआ था उसके जो शीशे थे चारों तरफ उससे ब्लैक फिल्म चढ़ी हुई थी जिससे क्या अंदर कौन बैठा है उसे देख नहीं सकते थे ऐसा दावा किया जा रहा है कि बाबा उसी गाड़ी में बैठे और वहां से निकल के छूमंतर हो गए हैं वो गायब हो गए हैं हालांकि पुलिस उने ढूंढने की कोशिश कर रही है लेकिन पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें एक मुख्य सेवादार का उसमें नाम प्रमुख रूप से शामिल है उससे सेवा सेवादार के अलावा टोटल मिलाकर 22 लोग हैं लेकिन भोले बाबा का नाम उसमें शामिल नहीं है भोले बाबा यानी कि सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा उनका नाम इसमें शामिल नहीं है हालांकि पुलिस प्रशासन इस मामले की जांच पड़ताल में पूरी तरह से जुटा हुआ है कि इसमें किस लेवल पर कितनी गलती है और इतने सारे लोग क्यों मारे गए क्यों भगदड़ हुई और क्यों भगदड़ नहीं हुई लेकिन जैसे ही मीडिया रिपोर्ट्स वगैरह ये आती है उसे साफ-साफ पता चलता है कि इनके जो श्रद्धालु होते हैं अनुयाई होते हैं वो बस चरणों की धूल लेने के लिए और हैंड बंप का पानी लेने के लिए बस दौड़ रहे थे भाग रहे थे और उन्हें ये भी नहीं पता था कि उनके पीछे भी हजारों लोगों की लाखों लोगों की भीड़ है जब वो भी तुम्हारे साथ दौड़ेगी तो दबकर कुचल कर मारे जाएंगे दोस्तों इस पूरे घटनाक्रम में बहुत ही भयावह जैसी स्थिति पैदा हो जाती है बड़ी संख्या में लोगों का नुकसान होता है इस नुकसान की भरपाई कभी होगी या नहीं कुछ कह नहीं सकते हालांकि सरकार ने लोगों को आर्थिक रूप से मदद देने का ऐलान भी कर दिया है प्रधानमंत्री ने भी आर्थिक रूप से मदद देने का ऐलान कर दिया है लेकिन जिसका गया है जिसने खोया है और जिसको एक आस्था के रूप में वहां पहुंचा था बार-बार आप वो यह कह रहे हैं कि आप परमात्मा हो जो भी लोग मरे हैं सबके अंदर जान डाल दो सबके सब जीवित हो जाएंगे लेकिन ये कोई नहीं जानता था कि अब से 28 साल पहले ये व्यक्ति छेड़छाड़ के आरोप में कई काफी टाइम तक एटा की जेल में रहता है और वहां से निकलने के बाद फिर ये कुछ दिन नौकरी करता है और उसे लगता है कि ये नौकरी में कुछ फायदा है नहीं इसलिए बाबा बन जाते हैं और बाबा बनकर लोगों के बीच में रहेंगे और उसके पास बड़ा सा आश्रम होता है बड़ी सी गाड़ियां होती हैं और बड़ा काफिला होता है और लाखों लोगों के भीड़ उसके साथ होती है अब आगे भीड़ रहेगी या नहीं रहेगी असलियत सामने आएगी या नहीं आएगी यह तो खैर भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन जो होता है वो बहुत भयानक होता है दोस्तों इस पूरे घटनाक्रम को सुनाने का उद्देश्य है किसी कसब लोग अपना ख्याल रखें धन्यवाद